चिपको आंदोलन 2.0 – हज़ारों लोगों की आवाज़ अब दिल्ली तक जाएगी
हस्ताक्षर अभियान’ को अपार समर्थन – 31 मार्च को राष्ट्रपति भवन तक पहुंचेगी जनता की आवाज़!
16 मार्च 2025 को ‘चिपको आंदोलन 2.0’ के तहत शुरू हुआ हस्ताक्षर अभियान अब एक जन आंदोलन का रूप ले चुका है। इस मुहिम को देहरादून, ऋषिकेश, टिहरी, पौड़ी, चमोली के गाँवों और उत्तराखंड के विभिन्न कॉलेजों से जबरदस्त समर्थन मिल रहा है।
अब तक 10,000 से अधिक नागरिकों ने इस याचिका पर हस्ताक्षर कर यह संदेश दिया है कि वे विकास के नाम पर जंगलों की कटाई के खिलाफ हैं और सतत विकास (Sustainable Development) की माँग करते हैं।
इस अभियान के तहत एक पत्र भारत के राष्ट्रपति को सौंपा जाएगा, जिसमें उत्तराखंड की जनता की माँगों को स्पष्ट रूप से रखा गया है
माननीय राष्ट्रपति महोदय,
हम, उत्तराखंड के नागरिक, आपसे विनम्र किंतु दृढ़ निवेदन करते हैं कि हमारे जल, जंगल और ज़मीन की रक्षा के लिए तत्काल ठोस कदम उठाए जाएं। उत्तराखंड की संवेदनशील पारिस्थितिकी और प्राकृतिक धरोहर को बचाने के लिए सतत विकास मॉडल लागू किया जाए, जिसमें पेड़ों की कटाई केवल अत्यावश्यक परिस्थिति में हो और पर्यावरण संतुलन प्राथमिकता बने।
हम आशा करते हैं कि इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर ठोस निर्णय लिया जाएगा और हमें स्पष्ट आश्वासन मिलेगा।
सादर,
उत्तराखंड के जागरूक नागरिक
यह अभियान 31 मार्च तक जारी रहेगा!
31 मार्च को पिंडरघाटी यूथ क्लब के प्रतिनिधि राष्ट्रपति भवन, दिल्ली जाकर वहाँ भारत के राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपेंगे।
इस ज्ञापन में साफ तौर पर उल्लेख होगा कि उत्तराखंड की जनता विकास चाहती है, लेकिन वह अपने पर्यावरण को उजाड़ कर नहीं, बल्कि टिकाऊ और पर्यावरण-संगत विकास चाहती है।
यह सिर्फ एक आंदोलन नहीं, बल्कि एक सतत संघर्ष है! यह आंदोलन 31 मार्च को समाप्त नहीं होगा!
यह चिपको आंदोलन 2.0 की शुरुआत मात्र है।
अगर 31 मार्च के बाद भी सरकार और प्रशासन से संतोषजनक जवाब नहीं मिला, तो यह आंदोलन और तेज़ होगा। हर बार जब भी किसी क्षेत्र में पेड़ों की कटाई होगी, पिंडरघाटी यूथ क्लब के सदस्य और 10 महिलाएँ वहाँ जाकर उन्हीं पेड़ों से चिपक जाएँगी, जैसे 1973 में गौरा देवी और उनकी साथियों ने किया था।
यह आंदोलन किसी एक दिन, दो दिन या एक महीने का नहीं है – यह एक निरंतर संघर्ष है!
हम संकल्प लेते हैं कि जब तक सरकार टिकाऊ विकास के लिए नीतियाँ नहीं बनाती और जंगलों को बचाने की दिशा में ठोस कदम नहीं उठाती, तब तक ‘चिपको आंदोलन 2.0’ जारी रहेगा 
मुख्य माँगें और हमारी लड़ाई:
3,300 पेड़ों की कटाई पर रोक लगे!
ऋषिकेश-जोलीग्रांट हाईवे के लिए हजारों पेड़ों को काटने की योजना बनाई गई है, जो पहाड़ों के पारिस्थितिक संतुलन को नष्ट कर सकती है। हम ऐसी नीतियों की माँग करते हैं जो विकास को पर्यावरणीय संतुलन के साथ आगे बढ़ाएं। वनों की रक्षा और नई वन नीति की माँग
उत्तराखंड में जंगलों की कटाई पर सख्त प्रतिबंध लगे और जंगलों को व्यवसायिक उपयोग से बचाया जाए।
सभी निर्माण परियोजनाओं में पर्यावरणीय प्रभाव आकलन (EIA) को अनिवार्य किया जाए।
जल स्रोतों का संरक्षण हो
उत्तराखंड की पारंपरिक जल स्रोतों, रिस्पना और बिंदाल नदियों को पुनर्जीवित किया जाए।
जलवायु परिवर्तन के असर को देखते हुए सरकार को ठोस नीतियाँ बनानी होंगी।
जंगल की आग रोकने के लिए रणनीति बने
जंगलों की अनियंत्रित आग रोकने के लिए सरकार ठोस नीतियाँ बनाए और पारंपरिक वन संरक्षण विधियों को अपनाए।
राष्ट्रीय स्तर पर ‘पर्यावरण विकास नीति’ बने
विकास और पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन लाने के लिए केंद्र सरकार को नीति बनानी चाहिए।
‘हस्ताक्षर यात्रा’ – दिल्ली तक जाएगी जनता की आवाज़
10000 से अधिक लोगों के हस्ताक्षर अब तक इस आंदोलन के समर्थन में आ चुके हैं।
अभियान 31 मार्च तक जारी रहेगा, और हजारों और नागरिक इसमें जुड़ने वाले हैं।
31 मार्च को ‘पिंडरघाटी यूथ क्लब’ के सदस्य राष्ट्रपति भवन, दिल्ली जाकर भारत के राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपेंगे।
यह सबूत होगा कि उत्तराखंड की जनता पेड़ों की कटाई नहीं, बल्कि सतत विकास चाहती है।
प्रेस कॉन्फ्रेंस
सुरज नेगी – सामाजिक कार्यकर्ता और पर्यावरणविद्
🎙 मालविका बार्तवाल – पर्यावरण वकील और सामाजिक कार्यकर्ता
गौरा देवी नाट्य मंचन – 1973 के चिपको आंदोलन की झलक दिखाई जाएगी।
‘हस्ताक्षर यात्रा’ का अनावरण – राष्ट्रपति भवन तक जाने वाली याचिका का औपचारिक ऐलान।
जनता की आवाज़ मीडिया के सामने – आंदोलन की प्रमुख तस्वीरें और वीडियो प्रस्तुत किए जाएंग
सम्मान हेतु महिलाओं के नाम:
1.अंशी नेगी
2.संध्या डबराल
3.अनुराधा डबराल
4.विनीता भोट्ल
5.मिनुता रावत
6.रमा देवी
7.विमला देवी गैरोला
8.हरि कृष्ण नयाल
9.प्रदीप सुमेर असम राइफल
10.जवान मल्होत्रा
11.अभिषेक कंडवाल
12.कार्तिकेय गुप्ता
टॉय फाउंडेशन:
•यश प्रताप सिंह बिष्ट
•आकाश रुथोवत
•तुषार नेगी
•केशव बंसला