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ट्रैवलर्स ग्रुप ऑफ इंडिया ने किया इको फ्रेंडली कार्यक्रम

ट्रैवलर्स ग्रुप ऑफ इंडिया द्वारा एक इको-फ्रेंडली कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें पर्यावरण संरक्षण और जागरूकता पर विशेष ध्यान दिया गया। इस कार्यक्रम के दौरान समूह ने प्लास्टिक के उपयोग को कम करने, वृक्षारोपण करने और स्वच्छता अभियान चलाने जैसी गतिविधियों को बढ़ावा दिया। इसके साथ ही, यात्रा के दौरान पर्यावरण के अनुकूल व्यवहार अपनाने और स्थानीय समुदायों को सशक्त बनाने पर भी जोर दिया गया। कार्यक्रम का उद्देश्य सतत पर्यटन को प्रोत्साहित करना और प्रकृति के संरक्षण में योगदान देना था। ट्रैवलर्स ग्रुप ऑफ इंडिया (TGI) साल 2020 से एक गैर-लाभकारी पारिवारिक फेसबुक समूह है, जिसमें वर्तमान में लगभग 18,000 से सदस्य हैं, जिसमें देश विदेश से और जीवन के हर क्षेत्र से प्रतिष्ठित व्यक्तित्व शामिल हैं। ट्रैवलर्स ग्रुप ऑफ इंडिया ने पौड़ी गढ़वाल के खिर्सू पहुंचकर एक कार्यक्रम आयोजित किया। इस आयोजन में 12 प्रदेशों से आये लगभग 110 घुमक्कड़ों ने भाग लिया। सभी घुमक्कड़ खिर्सू की सुंदर संपत्तियों का आनंद लेने पहुंचे थे। सभी घुमक्कडों ने कभी गढ़वाल की राजधानी रहे ऐतिहासिक देवलगढ़ का भ्रमण किया। घुमक्कड़ों का दल बहुत ही रमणीक रास्ते से पौड़ी गया, वहाँ यमराज की तपस्थली कंकालेश्वर मंदिर और लोकदेवता कंडोलिया ठाकुर के दरबार में नतमस्तक हुआ। सुबह से ही मौसम साफ था, विस्तृत हिमालयी श्रृंखला स्पष्ट दृष्टिगोचर थी हिमालय की तमाम नाम अनाम चोटियों के दर्शन किये और जम कर फोटोग्राफी की। खिर्सू के ब्लॉक हॉल में एक भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किया गया। सांस्कृतिक प्रस्तुतियों में शिशु विद्या मंदिर के छात्र छात्राओं द्वारा सरस्वती वंदना, जागर और ‘कख हरची’ पर अद्भुत प्रस्तुतियाँ दी गयीं। तत्पश्चात, महाविद्यालय की छात्राओं ने नंदादेवी रातजात पर आधारित लोकगीत ‘हे नंदा हे गौरा’ पर यादगार प्रस्तुति दी। इसके अतिरिक्त नीता बिष्ट ने आछरी लोकगीत और ‘डयो लागी’ पर लास्यपूर्ण प्रस्तुति दी। रेवा पोरवाल ने शिव तांडव स्त्रोत पर अभूतपूर्व प्रस्तुति दी। ऐसा लगा कि पार्वती का लास्य और शिव का तांडव, इन दोनों के संयोग ही ये चराचर सृष्टि अस्तित्व में है। रेवा और विधि ने गढ़वाली मिक्स गानों पर एक साथ नृत्य किया। मिष्टी ने ‘मैंने पायल है छनकायी’ पर सुंदर प्रस्तुति दी। सभी प्रस्तुतियों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया और सम्मोहन अभी तक तारी है। डॉ शुभा पोरवाल ने उच्चस्तरीय मंच संचालन किया, मंच पर प्रकाश संयोजन और फोटोग्राफी प्रीतम नेगी जी ने की, वीडियोग्राफी सुरेश्वर त्रिपाठी सर ने की। पुष्कर रावत सर ने अंताक्षरी भी करवायी जिसका दर्शकों ने भरपूर आनंद लिया, बीच बीच में प्रश्नोत्तरी हुयी, सही उत्तर देने वालों को उपहार भी दिया गया। ग्रुप की तरफ से सभी 31 प्रतिभागियों को स्कूल बैग देकर पुरस्कृत किया गया, इसके अतिरिक्त अन्य सदस्यों की ओर से भी लगभग 15,000 रुपये के नकद पुरस्कार भी दिये गये, जिसमें मयंक जैन जी द्वारा 3100 रुपये, अमित मल्होत्रा जी ने 4650 रुपये और शशांक देवधर जी द्वारा 7000 रुपये दिये गये। सभागार में उपस्थित सभी स्थानीय सहयोगियों को अडमिंस द्वारा जैकेट/ शाल पहना कर सम्मानित किया गया। इस आयोजन में क्षेत्र की प्राकृतिक सुंदरता, सांस्कृतिक विरासत, समृद्ध इतिहास और स्थानीय उत्पादों का प्रदर्शन किया गया। भोजन में उत्तर भारतीय व्यंजनों के अतिरिक्त स्थानीय व्यंजन भी शामिल थे, यथा मंडुये की रोटी, पहाडी दाल, झंगोरे की खीर, जख़्या वाले आलू के गुटके, भाँग/ भट्ट की चटनी आदि आदि। संपूर्ण आयोजन इको फ्रेंडली रहा और डिस्पोजेबल की जगह मालू के पत्तों का प्रयोग किया गया।

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